शनि साढ़ेसाती और ढैय्या
आज हम आपको शनि साढ़ेसाती और ढैय्या क्या होता है यह बताने जा रहे है| शनि देव कर्मों का फल देने वाले और न्याय प्रिये देव है परन्तु जब यह किसी राशि पर संचार करते है तो ऊपर अपना बुरा या अच्छा प्रभाव डाल ते है | यह समय साढ़ेसात वर्ष या ढाई वर्ष का होता है |
शनि साढ़ेसाती : जब शनि किसी जातक की जन्म राशि से 2 , 1 या 12 स्थान में हो , तो शनि की प्रस्तुत गोचर स्थिति ' शनि साढ़ेसाती ' कहलाती है | इस के चलते व्यक्ति को मानसिक संताप , शारीरिक कष्ट , कलह कलेश , आर्थिक परेशानिया , आय कम व् खर्च अधिक , रोग , शत्रु भय , बनते काम ख़राब और संतान एव परिवार सम्बन्धी परेशानियाँ अति है | शनि जिस राशि पर संचरित होता है , उस से पहले , बारहवें और दूसरे भावो में स्थित राशियों को विशेष प्रभावित करता है |
शनि ढैय्या : शनि जब चन्द्र राशि से चौथे या आठवे स्थान पर संचार करता है , तब शनि ढैय्या कहलाता है | इस के आने से व्यक्ति को व्यर्थ भागदौड़ , गुप्त चिंता , रोग , शोक , धन हानि , भाई भंडुओं से विरोध और कई उलझनों का सामना करना पड़ता है |
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