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आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए ब्रह्मचारी रहते हुए स्नान करनी के बाद श्री सहित विष्णु पूजा अर्चना एव स्त्रोत पाठ करे | पाठ के बाद ब्राह्मण दम्पति को भोजन करवाना और दक्षिणा दे | यादशक्ति वस्त्र , धन , जूते , आवला , आम , खरबूजे , आड़ू आदि का दान करना तथा खुद भी एक बख्त भोजन करने से अक्षय पुण्य की प्रापति होती है |
स्वास्थ्य विचार : आषाढ़ मास में स्वय को विशेषकर सिर को तेज़ धुप से बचना चाहिए | इस मास सादा भोजन , छाछ व् शीतल
पेय का प्रयोग करना चाहिए |
आषाढ़ संक्रांति ग्रह चाल : संक्रांति कुंडली में मंगल का संचार , रविवार सक्रांति और गुरु - शनि योग होने से देश के कुछ भागो में आतंरिक कलह , उपदर्व एव अशांति का वातावरण होगा |